इंदिरा आवास योजना IAY – गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और बंधुआ मजदूरों के निवास स्थलों के निर्माण और उन्नयन के लिए वर्ष 1985-86 से भारत सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इंदिरा आवास योजना को कार्यान्वित कर रही है। वर्ष 1993-94 से इस योजना के दायरे को बढ़ा कर इस योजना के तहत गैर अनुसूचित जाति, जनजाति के गरीब परिवारों को भी शामिल किया गया।
इंदिरा आवास योजना (आईएवाय)
गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और बंधुआ मजदूरों के निवास स्थलों के निर्माण और उन्नयन के लिए वर्ष 1985-86 से भारत सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इंदिरा आवास योजना को कार्यान्वित कर रही है। वर्ष 1993-94 से इस योजना के दायरे को बढ़ा कर इस योजना के तहत गैर अनुसूचित जाति, जनजाति के गरीब परिवारों को भी शामिल किया गया। लेकिन योजना के तहत कुल आवंटित राशि के 40% से अधिक की सहभागिता इन्हें नहीं प्रदान की जाएगी। इस योजना का विस्तार सेवानिवृत्त सेना और अर्द्धसैनिक बल के मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिवारों तक भी किया गया है। योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 3 प्रतिशत मकान शारीरिक और मानसिक विकलांगों के लिए वर्ष 2006-07 आरक्षित किए गए हैं। प्रत्येक राज्य में गरीबी रेखा के नीचे के अल्पसंख्यकों को भी इस योजना का लाभ प्रदान के लिए चिह्नित किया जा रहा है।
योजना के तहत प्रदान की जा रही सहायता में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में होगी। चूंकि योजना का उद्देश्य आवासविहीन लोगों की संख्या में कमी लाना है इसलिए योजना आयोग द्वारा राज्यस्तरीय आवंटन में 75% आवासों की कमी को और 25% गरीबी को वरीयता दी गई है। जिलास्तरीय आवंटन में एक बार फिर 75% वरीयता आवासों की कमी को तथा शेष 25% संबंधित राज्य की अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को दी गई है।
एक बार आवंटन राशि तथा लक्ष्य तय होने के बाद जिला ग्रामीण विकास एजेंसी/जिला परिषद इंदिरा आवास योजना के तहत ग्रामवार बनाए जाने वाले मकानों की संख्या तय करती हैं और इस आशय की जानकारी संबंधित गांवों को प्रेषित कर दी जाती है। इसके बाद ग्राम सभाएं योजना के लाभार्थियों का चयन स्थायी इंदिरा आवास योजना प्रतीक्षा सूची से करती हैं। इसके बाद किसी अन्य उच्च अधिकारी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती।
इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत दी जाने वाली राशि को 1 अप्रैल, 2008 से मैदानी इलाकों में प्रति गृह निर्माण सहायता को 25,000 रुपए से बढ़ाकर 35000 रुपए और पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों में 27,500 रुपए से बढ़ाकर 38,500 रुपए कर दिया गया है। कच्चा मकान को पक्का बनाने के लिए प्रति मकान 12,500 रुपए की राशि को बढ़ाकर 15000 रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक से निवेदन किया है कि इंदिरा आवास योजना के तहत प्रति मकान दिए जाने वाले 20,000 रुपए तक के ऋण को 4% की ब्याज दर पर जारी करे।
योजना के तहत आवासीय इकाई परिवार की महिला सदस्य के नाम से ही आवंटित होनी चाहिए। विकल्प के तौर पर मकान को महिला और पुरूष (पति या पत्नी) दोनों के नाम पर भी आवंटित किया जा सकता है। केवल उसी स्थिति में परिवार के पुरूष सदस्य के नाम मकान आवंटित किया जाना चाहिए जबकि परिवार में कोई योग्य महिला सदस्य न हो।
शौचालय, धुआं रहित चूल्हा, उपयुक्त नाली प्रत्येक इंदिरा आवास योजना के घरों में होने चाहिए। लाभार्थी चाहे तो इंदिरा आवास मकान के लिए अलग से शौचालय का निर्माण कर सकता है। मकान का निर्माण करना लाभार्थी की व्यक्तिगत जवाबदेही है। किसी ठेकेदार की सहभागिता को प्रतिबंधित किया गया है।
इंदिरा आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले आवासों के लिए किसी तरह का विशेष डिजाइन निर्धारित नहीं किया गया है। डिजाइन, तकनीक और सामग्री का चयन पूरी तरह लाभार्थी के ऊपर निर्भर करता है।
इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत जून, 2014 तक 320.55 लाख आवासों का निर्माण किया गया तथा इस पर 1,05,518.85 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं।
बीपीएल परिवार को इंदिरा गांधी आवास योजना के अंतर्गत दिनांक 01 अप्रैल 2013 से नए मकान के निर्माण के लिए मैदानी क्षेत्रों में 70,000 रुपए और वामपंथी उग्रवादी जिलों सहित पर्वतीय/दुर्गम क्षेत्रोँ में 75,000 रुपए का अनुदान दिया जाता है| इसके अतिरिक्त इंदिरा गांधी आवास योजना निधियों का उपयोग कच्चे मकान के उन्नयन के लिए भी किया जा सकता है, जिसके लिए प्रति मकान 15,000 रूपए की सब्सिडी दी जाती है | भूमिहीन गरीबोँ को आवास स्थलों की खरीद के लिए 20,000 रुपए की सहायता दी जाती है |
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