व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वच्छता – व्यक्तिगत स्वच्छता का अर्थ है, अपने शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई व देखभाल । यदि व्यक्ति नियमित रूप से अपने शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई व देखभाल करे तो निःसंदेह अनेक बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है ।
व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वच्छता – व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए आवश्यक बातें
व्यक्तिगत स्वच्छता न रखने के दुष्परिणामों से बचने के लिए आवश्यक है कि समुदाय में सभी लोग अपने शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई का विशेष ध्यान रखें जैसे –
साबुन या राख से हाथ धोना
यह सबसे महत्वपूर्ण आदत है । गन्दे हाथों से खाना खाने से रोगों के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर स्वस्थ मनुष्य को रोगी बना देते हैं । अतः शौच के बाद, खाना खाने, खाना परोसने और बच्चों के खिलाने से पूर्व तथा बच्चों के मल का निपटान करने के उपरान्त साबुन / राख और पानी से रगड़कर हाथ धोएँ ।
नाखून काटना
लम्बे नाखूनों के पीछे गंदगी जमा हो जाती है । इस गंदगी में रोग फैलाने वाले रोगाणु तथा पेट के कीड़ों के अण्डे होते हैं । यह रोगाणु गन्दे, लम्बे नाखूनों द्वारा भोजन में जाकर उन्हें दूषित करते हैं । यह दस्त व अन्य रोग पैदा करते हैं । इसलिए नाखूनों को नियमित रूप से काटना व साफ रखना चाहिए ।
चप्पल पहनना
गाँवों में अधिकांश लोख खुले में शौच करते हैं । इससे मिट्टी में हुकवर्म (अंकुश कृमि) बढ़ते हैं और नंगे पैर चलने से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं । हुक वर्म से शरीर में खून की कमी व कमजोरी होती है । चप्पल पैर की त्वचा को इन रोगाणुओं के सम्पर्क में आने से बचाती है । अतः सभी लोगों को चप्पल / जूते पहनने के लिए प्रेरित करना चाहिए ।
बालों की देखभाल
बालों की नियमित धुलाई व उचित देखभाल जरूरी है, ताकि बाल स्वस्थ्य व सुंदर रहें और सिर में जुएँ, रुसी आदि न हो ।
रूमाल का उपयोग
खाँसते-छींकते समय मुँह के सामने रूमाल या हाथ रखें, ताकि वायुवाहित रोगों को फैलने से रोका जा सके ।
नहाना व कपड़े धोना
शरीर को साफ रखने हेतु साबुन से प्रतिदिन नहाना व साफ कपड़े पहनना जरूरी है, कपड़ों को नियमित रूप से धोना चाहिए ।
साफ वातावरण में खेलना
जहाँ लोग शौच करते हों, वहाँ मिट्टी में बच्चों को नहीं खेलना चाहिए । बच्चों को चप्पल पहनने को प्रेरित करें ।
दाँतों की सफाई
प्रतिदिन सबेरे तथा रात को सोने से पहले दाँत साफ करने चाहिए । दाँतों की सड़न व साँस की बदबू रोकने के लिए टूथपेस्ट या नीम की दातून का उपयोग कर सकते हैं ।
घरेलू स्वच्छता
मनुष्य की एक तिहाई आयु घर में व्यतीत होती है । इसलिए घर में हवा और रोशनी के लिए पर्याप्त खुलापन होना आवश्यक है । इससे न केवल शारीरिक आराम व रोशनी मिलती है, बल्कि हवा से फैलने वाले रोगाणुओं की रोकथाम भी होती है ।
गाँवों में बहुत से घर सीलन भरे, अंधेरे और घुटन भरे होते हैं । उनमें सूर्य का प्रकाश नहीं जाता और वे हवादार नहीं होते । कभी-कभी तो एक ही कमरे में सारा परिवार रहता है । अक्सर लोग और पशु दोनों एक ही छत के नीचे रहते हैं । रहन-सहन की ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि घर की नियमित सफाई रखी जाए, ताकि चूहे, मक्खियाँ और तिलचट्टे जैसे रोगवाहक घर के भीतर न घुस पाएँ ।
इसके अलावा, परंपरागत चूल्हों से निकलने वाला धुआँ खास कर बच्चों और महिलाओं की आँख में किरकिरी तथा श्वास रोग पैदा करता है । खुला पड़ा कूड़ा भी मक्खियों और दूसरे कीड़े-मकोड़े को आकर्षित करता है, जो रोग फैलाते हैं ।
घरेलू स्वच्छता रखने हेतु मुख्य बातें
- प्रतिदिन घर को झाडू-पोंछा लगाकर साफ रखें
- सारे घरेलू कूड़े को कूड़ेदान में या कूड़े के गड्ढे में डालें ।
- भोजन ढँक कर सुरक्षित रखें ।
- मक्खियों से बचाव के लिए भोजन जालीदार अलमारी में रखें ।
- खाने से पहले कच्ची सब्जियों और फलों को साफ पानी से रगड़कर धो लें ।
- धूम्र रहित चूल्हे का प्रयोग करें ।
- पीने का पानी ऊँचे चबूतरे पर ढँक कर रखें ।
- पानी निकालने के लिए डंडी वाले बर्तन का प्रयोग करें ।
- भोजन बनाने, परोसने व खाने से पहले हाथों को साबुन / राख से धोयें ।
- बेकार पानी को बहाने के लिए नाली बनाकर सोकेज पिट या क्यारी में पहुँचायें ।
- अपना शौचालय साफ रखें ।
- बच्चे या शिशु के मल को तत्काल साफ करके शौचालय में या जमीन में खुदे गड्ढे में डालकर मिट्टी से ढँक दें ।
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