ladies period
Ladies Period माहवारी – माहवारी (जिसे पीरियड, मासिक धर्म या महीना भी कहा जाता है, क्योंकि ये हर महीने आते हैं) किशोरियों को यौन रूप से परिपक्व होने को दर्शाती है । माहवारी शरीर का सामान्य कार्य है । यह आमतौर पर यौवनारंभ के दौरान शुरू होती है, जब शारीरिक विकास अपनी ऊँचाई पर होता है तथा स्तन विकसित हो जाते हैं । यह उन क्रियाओं में से एक है, जो भविष्य में लड़की के शरीर को गर्भाधारण करने के लिए तैयार करती है । Ladies Period
Period माहवारी
Period माहवारी क्या है ?
माहवारी शरीर का एक प्राकृतिक कार्य है । यह उन प्रक्रियाओं में से एक है, जो लड़की के शरीर को भविष्य में गर्भधारण करने के लिए तैयार करती है । माहवारी इस बार का चिन्ह है कि लड़की का प्रजनन तंत्र, स्वस्थ तथा अच्छी तरह से काम कर रहा है । माहवारी आम तौर पर 4-5 दिन, दो दिन कम या ज्यादा के लिए आती है । लेकिन कुछ केसों में लंबे समय तथा कुछ में कम समय के लिए आती है । माहवारी के दौरान एक लड़की का 50-80 मि.ली. खून बह जाता है । यदि पहले के दो-तीन दिनों में वह हर रोज 3-4 पैड का प्रयोग कर रही है या उसकी माहवारी 7 दिन से ज्यादा तक चलती है तो उसे बहुत ज्यादा खून पड़ना कह सकते हैं । यह आम बात है कि पहली माहवारी की शुरूआत के बाद पहले कुछ सालों तक, लड़की को कुछ महीने माहवारी न आए । यह चिन्ता का विषय तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक लड़की यौन रूप से सक्रिय नहीं है तथा उसे गर्भ ठहरने का खतरा नहीं है । शरीर के इस सामान्य कार्य के बारे में बात करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बहुत-सी लड़कियों को माहवारी से संबंधित चिंताएँ होती हैं, जिनमें से ज्यादा को केवल भरोसे तथा परामर्श की जरूरत होती है । समाज में फैली हुई गलत धारणाओं के कारण भी माहवारी को अस्वच्छ तथा गंदा माना जाता है । बहुत-सी पुरानी सांस्कृतिक मान्यताएँ तथा अभ्यास जो आज भी माने जाते हैं, वे बढ़ती हुई लड़की के लिए मददगार नहीं हैं या कई बार नुकसानदायक भी सिद्ध होते हैं।
माहवारी Period की प्रक्रिया
माहवारी (जिसे पीरियड, मासिक धर्म या महीना भी कहा जाता है, क्योंकि ये हर महीने आते हैं) किशोरियों को यौन रूप से परिपक्व होने को दर्शाती है । माहवारी शरीर का सामान्य कार्य है । यह आमतौर पर यौवनारंभ के दौरान शुरू होती है, जब शारीरिक विकास अपनी ऊँचाई पर होता है तथा स्तन विकसित हो जाते हैं । यह उन क्रियाओं में से एक है, जो भविष्य में लड़की के शरीर को गर्भाधारण करने के लिए तैयार करती है । हर महीने महिला की बच्चेदानी से बहने वाले खून को माहवारी कहते हैं । हर महीने हार्मोन के प्रभाव के कारण दोनों में से एक अण्डकोष में एक अण्डा (ओवम) बनता है । यह डिम्बवाही नलियों से होता हुआ बच्चेदानी में चला जाता है । गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है, क्योंकि गर्भाशय उर्वन हो चुके अण्डे को लेने की तैयारी करता है (जो शिशु के रूप में बढ़ता है) । ऐसा तब हो सकता है, जब अण्डा शुक्राणु से मिले । यदि अण्डा शुक्राणु से न मिले तो गर्भाशय की अन्दरूनी परत टूटनी शुरू हो जाती है । यही परत है, जो मासिक खून के रूप में बह जाती है । यह चक्र हर महीने दोहराया जाता है तथा इसकी अवधि 28 दिन की होती है । खून गिरने की सामान्य अवधि 4-5 दिन होती है तथा अनुमान से हर चक्र में 50-80 मि. ली. तक खून बहता है ।
खून का बहुत ज्यादा या बहुत कम पड़ना
किशोरावस्था के दौरान कई बार यह संभव होता है कि लड़की को कुछ महीनों में एक बार माहवारी आए तथा बहुत कम खून पड़े या बहुत ज्यादा खून पड़े । उनका चक्र आमतौर पर समय के साथ नियमित होता है ।
Period माहवारी के दौरान दर्द होना
माहवारी के दौरान परत को बाहर धकेलने के लिए गर्भाशय सिकुड़ता है । सिकुड़ने के कारण पेट तथा पीठ के नीचे के हिस्से में दर्द हो सकता है । यह दर्द माहवारी शुरू होने से पहले या शुरू होने के बाद हो सकता है ।
माहवारी Period से पहले होने वाले लक्षण
कई किशोरियाँ माहवारी शुरू होने से कुछ दिन पहले असुविधाजनक महसूस करती है । उन्हें एक या एक से ज्यादा लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें माहवारी से पहले होने वाले लक्षण कहा जाता है । ऐसे लक्षण वाली किशोरियों को निम्नलिखित तकलीफें हो सकती है –
a. स्तनों में दर्द
b. पेट के नीचे के हिस्से में भारीपन (दर्द)
c. कब्ज
d. दिमागी तनाव (परेशानी)
Period माहवारी के दौरान स्वच्छता तथा साफ-सफाई
माहवारी में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए किशोरियाँ कपड़े या सेनिटरी पैड का प्रयोग कर सकती है । यदि वह कपड़े का प्रयोग कर रही है तो खून के बहाव को सोखने के लिए साफ सूती कपड़े का प्रयोग करना चाहिए । सूती कपड़े में सोखने की शक्ति अच्छी होती है । नाईलोन (सिन्थेटिक) या रेशमी कपड़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि वह खून अच्छी तरह से नहीं सोख सकता तथा त्वचा पर घाव हो सकते हैं । यदि लड़की बाजारी पैड खरीद सकती है तो वह उन्हें प्रयोग करें । कपड़े या पैड को दिन में 2-3 बार बदलना चाहिए । कपड़े तथा पैंटी को साबुन तथा पानी के साथ अच्छी तरह से धोकर धूप में सुखाना चाहिए । सूरज की किरणें सभी कीटाणुओं को मार देती है । कपड़े को अगली माहवारी या मासिक धर्म तक साफ जगह पर रखना चाहिए । एक कपड़ा दो तीन बार से अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए ।
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