masik dharm
Masik dharm – महिलाओं में यौन जनित (STIs) और प्रजनन तन्त्र संक्रमण (RTIs) – प्रजनन अंगो के संक्रमण को प्रजनन तंत्र संक्रमण कहते हैं, जो कई प्रकार के कीटाणुओं से हो सकते हैं । यद्यपि प्रजनन अंगों के संक्रमण पुरूष और महिला दोनों में हो सकते हैं, परन्तु यह महिलाओं में ज्यादा होते हैं, क्योंकि उनके शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली इन कीटाणुओं के प्रवेश को आसान बना देती है । यौन संबंधों द्वारा फैलने वाले प्रजनन तंत्र संक्रमणों को यौन जनित संक्रमण कहते हैं । प्रजनन अंग, प्रसव के समय आयी चोट, गर्भपात और प्रसव के दौरान अस्वच्छता और योनि में पाए जाने वाले कीटाणुओं की वृद्धि से भी संक्रमित हो सकते हैं । कुछ अन्य कारण जो स्त्रियों में इस प्रकार के संक्रमण पैदा करते हैं, वे है खराब स्वास्थ्य, जननांगों की अस्वच्छता और कम उम्र में ही यौन क्रियाओं में रत होना । यौनसम्पर्क
यौन जनित संक्रमण (STIs) और प्रजनन तन्त्र संक्रमण (RTIs)
प्रजनन तन्त्र संक्रमण और यौन जनित संक्रमण क्या होते हैं और यह कैसे फैलते हैं?
प्रजनन अंगो के संक्रमण को प्रजनन तंत्र संक्रमण कहते हैं, जो कई प्रकार के कीटाणुओं से हो सकते हैं । यद्यपि प्रजनन अंगों के संक्रमण पुरूष और महिला दोनों में हो सकते हैं, परन्तु यह महिलाओं में ज्यादा होते हैं, क्योंकि उनके शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली इन कीटाणुओं के प्रवेश को आसान बना देती है ।
यौन संबंधों द्वारा फैलने वाले प्रजनन तंत्र संक्रमणों को यौन जनित संक्रमण कहते हैं । प्रजनन अंग, प्रसव के समय आयी चोट, गर्भपात और प्रसव के दौरान अस्वच्छता और योनि में पाए जाने वाले कीटाणुओं की वृद्धि से भी संक्रमित हो सकते हैं । कुछ अन्य कारण जो स्त्रियों में इस प्रकार के संक्रमण पैदा करते हैं, वे है खराब स्वास्थ्य, जननांगों की अस्वच्छता और कम उम्र में ही यौन क्रियाओं में रत होना ।
बहुत-सी स्त्रियाँ प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं से पीडि़त होती है । प्राकृतिक कारणों से महिलायें ज्यादा आसानी से इन संक्रमणों का शिकार हो जाती हैं । यौन सम्बन्धों में महिलाओं का नियंत्रण न होना, जैसे- यौन हिंसा और पुरूषों द्वारा कण्डोम का प्रयोग न करना भी औरतों को संक्रमण के जोखिम में डालता है ।
इन बीमारियों पर ध्यान नहीं दिया जाता- क्यों ?
यह एक अत्यन्त जटिल प्रश्न है कि इतनी गम्भीर समस्याओं से आज तक महिलायें जागरूक नहीं हैं, क्योंकि महिलायें सामान्यतः असामान्य योनि स्त्राव, जननांगों पर घाव जैसी समस्याओं के बारे में बात करने में शर्माती और हिचकिचाती है । उन्हें यौन संबंधी समस्याओं को चुपचाप सहना सिखाया गया है । महिलाओं को सामाजिक भय भी रहता है कि कहीं प्रजनन तंत्र संक्रमण, विशेषतः यौन संक्रमणों से पीडि़त होने पर उन्हें चरित्रहीन न समझ लिया जाये । पर्याप्त यौन शिक्षा न मिलने व चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता आसानी से न होने की वजह से महिलायें अक्सर इस प्रकार के संक्रमणों के इलाज के लिए नहीं जाती है । घर में स्त्रियों को चिकित्सा सेवा तक ले जाने का निर्णय सास आदि का होता है । वे बहू को गर्भ संबंधी या बाँझपन आदि की समस्याओं के लिए तो स्वास्थ्य केन्द्र पर जाने देती है परन्तु योनिस्त्राव या घाव या फुन्सी आदि समस्याओं के लिए नहीं । उन्हें लगता है कि ये बहुत छोटी समस्यायें हैं । यहाँ तक कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था भी इस तरह की आवश्यकताओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं देती है ।
प्रजनन तंत्र संक्रमण की बहुत अवहेलना हुई है, क्योंकि उससे व्यक्ति की सीधे मृत्यु नहीं होती । यह साधारणतया महिला के शरीर के अन्दर होता है, जो कि ऊपर से दिखाई नहीं देता परन्तु उसे दीर्घकालीन उदर और पीठ दर्द देता है या बाँझ बना देता है । बहुत-सी महिलायें इस पीड़ा को पूरी जिन्दगी सहती रहती हैं ।
स्त्रियों में प्रजनन तंत्र संक्रमण के लक्षण
- योनि से असामान्य स्त्राव जिसमें बदबू हो और सामान्य की अपेक्षा अधिक मात्रा में हो ।
- बाहरी जननांगों पर घाव या दाने ।
- प्रजनन अंगों के संक्रमण के कारण पेडू में दर्द ।
स्त्रियों में यौनजनित संक्रमण
योनि से असामान्य स्राव
साधारणतया स्राव सामान्य भी हो सकता है यदि यह खुजली या दर्द जैसे लक्षणों के बिना और थोड़े समय तक हो । अधिकतर महिलाओं में दो माहवारियों के मध्यकाल में और गर्भावस्था के दौरान सामान्य रूप से स्राव अधिक होता है । योनि से थोड़ी मात्रा अथवा गीलापन होना सामान्य बात है । इसकी मात्रा, रंग और गंध में परिवर्तन होने का मतलब संक्रमण होना है । स्त्रियों के प्रजनन तन्त्र या अंगों के बहुत से संक्रमण दुर्गन्ध युक्त अथवा खून लिए हुए पीलापन, हरापन, दही जैसे जमे हुए स्राव के रूप में दिखाई पड़ते हैं ।
असामान्य योनि स्राव के कारण
- जननांगों की स्वच्छता में कमी से, विशेषतः माहवारी के दौरान ।
- प्रसव के समय गन्दे औजारों का प्रयोग, नीम-हकीमों द्वारा कराए गए गर्भ सामपन ।
- निरोध के बिना यौन क्रिया, विशेष तौर से जब साथी किसी संक्रमण से ग्रस्त हो ।
यह याद रखना आवश्यक है कि यह सभी संक्रमण आसानी से रोके तथा ठीक किए जा सकते हैं ।
संक्रमणों की रोकथाम
- परिवारों तथा स्त्रियों को सलाह दें कि प्रसव अस्पताल में ही करायें ।
- प्रसव केवल कुशल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से ही कराया जाये ।
- गर्भ समापन केवल पंजीकृत अस्पतालों में ही कराया जाए ।
- माहवारी के दौरान जननांगों व कपड़ों की स्वच्छता रखी जाए ।
- निरोध का प्रयोग करके असुरक्षित यौन सम्बन्ध से बचा जाए । (स्त्रियाँ हर बार अपने साथी को कन्डोम के प्रयोग के लिए बाध्य नहीं कर सकती है । इसके लिए उन्हें निरोध के प्रयोग की बात मनवाने की कला सीखनी चाहिए । ऐसी स्थितियों में जब पुरूष कण्डोम का प्रयोग न करें स्त्रियों के कण्डोम उपलब्धता महिलाओं को सुरक्षित कर सकती है ।)
- स्त्रियों को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों से ही उपचार कराने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए । स्त्रियाँ सामान्यतः इस संबंध में बात करने में झिझक तथा शर्म महसूस करती हैं । अतः स्त्रियों से उनकी झिझक या शर्म दूर करवाकर स्वास्थ्य केन्द्र अथवा शहर के अस्पताल में जाकर स्वयं चिकित्सक से बात करने हेतु प्रेरित करना होगा ।
प्रशिक्षित डाक्टर की सलाह से पूरा इलाज कराना आवश्यक है । यौन जनित संक्रमण होने पर अपने साथ-साथ अपने साथी का भी इलाज कराना चाहिए । (महिलाओं को अपने पतियों को इलाज कराने के लिए मनाने में प्रायः कठिनाई होती है । इसके लिए परिवार को परामर्श देना चाहिए (महिला के पति सहित) और जहाँ आवश्यक हो ए.एन.एम. या मेडिकल आफीसर से भी सहायता लेनी चाहिए ।)
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